इस वर्ष कार्तिक अमावस्या की तिथि एक दिन के बजाय दो दिन पड़ रही है। दिवाली की तारीख को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि इस बार दिवाली 31 अक्तूबर को मनाई जाए या फिर 01 नवंबर को।
दीपावली कब है कब मनाएं 31 अक्तूबर या 01 नवंबर 2024?
पंचांग के अनुसार, दिवाली कार्तिक माह की अमावस्या की रात में मनाया जाता है. इस साल ये अमावस्या 31 अक्टूबर 2024, 03 बजकर 40 मिनट से शुरू होगी और 01 नवंबर को 06 बजे तक रहेगी. रात्रि में दीपदान का महोत्सव होता है, तो ऐसी स्थिति में अमावस्या की रात्रि में ही दीपावली का पर्व मनाया जाएगा, जो 31 अक्टूबर को है. उस दिन 3:40 से ही पूजा का शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएगा
दिवाली लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त कितने बजे से कितने बजे तक है?
अथाश्विनामावस्यायां प्रातरभ्यंगः प्रदोषे दीपदानलक्ष्मी-परजनादि विहितम्। तत्र सूर्योंदयं व्याप्ति-अस्तोत्तरं घटिकाधिकरात्रिव्यापिनी दर्शे सति न संदेहः। ( धर्मसिन्धु)
अर्थ- कार्तिक अमावस्या को प्रदोष के समय लक्ष्मी पूजन के लिए कहा गया है. उसमें यदि सूर्योंदय से लेकर सूर्यास्त के अनन्तर 1 घड़ी अर्थात 24 मिनट से अधिक रात्रि तक (प्रदोषकाल) अमावस्या हो, तो कुछ संदेह की बात नहीं है.
पंचांग के अनुसार, लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल के दौरान की जानी चाहिए जो सूर्यास्त के बाद शुरू होती है और लगभग 2 घंटे 24 मिनट तक चलती है। द्रिक पंचांग के अनुसार, लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त शाम 5:19 बजे से शाम 7:19 बजे तक है।
दीपावली के दिन पूजा विधि में सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद कलावा, रोली, सिंदूर, एक नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली कुशा, रक्त चंदनद, श्रीखंड चंदन को पूजन सामग्री में शामिल करना चाहिए उसके बाद लक्ष्मी गणेश की पूजा आराधना करनी चाहिए.
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